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पंडित जी की 61वीं पुण्यतिथि…और उनके विचार

स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का 27 मई, 1964 को दिल्ली में निधन हो गया.. चाहे वह विधिनिर्माता के रूप में हो, प्रशासक के रूप में हो, स्वतंत्रता सेनानी के रूप में हो या फिर लेखक के रूप में हो, नेहरू ने अपने जीवन में जो भी कार्य किया.. उसमें उत्कृष्टता हासिल की और अपने पीछे एक विशाल विरासत छोड़ गए.. जिसे आज भी संजोया और मनाया जाता है..

1947 से 1964 तक भारत के वे प्रधानमंत्री रहे… भारत के सबसे प्रसिद्ध राजनेताओं में से एक, नेहरू को 15 वर्ष की आयु तक कई अंग्रेजी शिक्षकों और अध्यापिकाओं द्वारा घर पर ही पढ़ाया गया.. बाद में वे अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए दूसरे देश चले गए…उनकी खुद की रचनाएँ, जैसे कि द डिस्कवरी ऑफ इंडिया और ग्लिम्प्सेस ऑफ़ वर्ल्ड हिस्ट्री, उनकी जानकारी और आलोचनात्मक सोच की अभूतपूर्व गहराई को दर्शाती है.. वे अपनी टिप्पणियों में नियमित रूप से साहित्यिक कृतियों, ऐतिहासिक घटनाओं और वैज्ञानिक सिद्धांतों का उल्लेख करते थे.

नेहरू की 61वीं पुण्यतिथि 2025- उनके विचार

नेहरू जी कहा करते थे भाषा व्याकरण और भाषाविज्ञान से कहीं अधिक महान है.. यह किसी जाति और संस्कृति की प्रतिभा का काव्यात्मक प्रमाण है और उन विचारों और कल्पनाओं का जीवंत अवतार है जिन्होंने उन्हें आकार दिया है

उन्होंने ये भी कहा कि किसी महान उद्देश्य के लिए निष्ठापूर्वक और कुशलतापूर्वक किया गया कार्य भले ही उसे तुरंत मान्यता न मिले लेकिन अंत में फल जरूर देता है..

नेहरू जी ने कहा था कि असफलता तभी आती है जब हम अपने आदर्शों, उद्देश्यों और सिद्धांतों को भूल जाते हैं.. सुझाव देना और बाद में जो हम कहते हैं उसके परिणामों से बचना बहुत आसान है…

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