फूलों की घाटी में महक रही जापानी फूल ब्लू पॉपी की महक…ये है खासियत

चमोली
उत्तराखंड के पहाड़ों में मूसलाधार बारिश हो रही है जिसकी वजह से काफी नुकसान भी हो रही है…और इन सब के बीच चमोली के ऊंच हिमालयी स्थिति फूलों की घाटी में विदेशी मेहमान पुष्प हिमालयन ब्लू पॉपी की सोंधी खुशबू से महक रहा है…..

उत्तराखंड के चमोली जनपद की उच्च हिमालई भ्यूंडार वैली में मौजूद दुर्लभ प्रजाति के सैकड़ों अल्पाइन हिमालई पुष्पों की पनाह गाह और यूनेस्को की अनमोल विश्व प्राकृतिक धरोहर फूलों की घाटी इन दिनों विदेशी मेहमान पुष्प हिमालयन ब्लू पॉपी की सोंधी खुशबू से महक रहा है…विशेषकर जापानी प्रकृति प्रेमी पर्यटकों की पहली पसंद इस खूबसूरत ब्लू पॉपी पुष्प की रंगत घाटी में देखते ही बनती है…

अपनी विविधता के कारण अल्पाइन हिमालई पुष्पों की रानी का ताज पहने इस पुष्प का वानस्पतिक नाम मेकोनोपसिस बीटोनिकफोलिया है और खास बात ये कि इसी दुर्लभ पुष्प के दीदार करने के लिए प्रति वर्ष जुलाई माह में जापानी पर्यटक दल इस नंदन कानन फूलों की घाटी की ओर रुख करते हैं..ऐसा भी कहा जाता है कि करीब चार दशक पूर्व यह दुर्लभ अल्पाइन पुष्प ब्रिटिश पर्वतारोही और वनस्पति विज्ञानी फ्रैंक स्मिथ के जरिए इस खूबसूरत पुष्प बियाबान में मेहमान बनकर आया था

दरअसल वर्ष 1986 तक यह विदेशी पुष्प इस वैली में नजर नहीं आता था…लेकिन वर्ष 1986 में जापान के शोधरत छात्र चो बकांबे पुष्पों पर शोध के लिए फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क आए..इसी दौरान उन्होंने जापान में पसंद किए जाने वाले ब्लू पॉपी के बीज घाटी में बिखेरे…तीन साल बाद जब वह दोबारा फूलों की घाटी लौटे तो वहां इस दुर्लभ ब्लू पॉपी की क्यारी सजी थी..तब से यह फूल लगातार यहां खिल रहा है… ब्लू पॉपी को हिमालयी फूलों की जून अंतिम सप्ताह से लेकर अगस्त के आखिर तक हेमकुंड साहिब व फूलों की घाटी में यह पुष्प खूब खिलता है..बता दें कि दुनिया में इस ब्लू पॉपी की 40 प्रजातियां मौजूद हैं। इनमें से 20 तो भारत में ही पाई जाती हैं..समुद्रतल से 12500 फीट की ऊंचाई पर 87.5 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैली इस दुर्लभ फूलों की घाटी जैव विविधिता का अनमोल खजाना है