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श्री हरि धाम भगवान फ्यूंला नारायण के मंदिर के खुले कपाट, श्रावण संक्रांति के बजाय इस बार तीन दिन बाद खुले कपाट, कारण जानकर हो जाएंगे हैरान

चमोली

समुद्र तल से लगभग 10 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित भगवान फ्यूंला नारायण मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ आज खोल दिए गए हैं….. पांच नाम देवता के पुजारी अब्बल सिंह पंवार, मेला समिति के उपाध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह सहित इस वर्ष के मुख्य पुजारी विवेक पंवार,ओर महिला पुजारी फ्यू लाण राजेश्वरी देवी की उपस्थिती में प्रथम दिन के देव पूजन प्रक्रिया के साथ भगवान फ्यूंला नारायण को दूध और मक्खन का भोग लगाया गया… श्रद्धालुओं ने भगवान नारायण की पूजा-अर्चना कर मन्नत मांगी……इस बार उर्गम घाटी में भगवती कालिंका की देवरा यात्रा हो रही है… इस कारण श्रावण संक्रांति के स्थान पर तीन प्रविष्ट को कपाट खोले गए हैं.

शुक्रवार 18 जुलाई को करीब 1बजे दोपहर में विधि विधान पूर्वक उच्च हिमालई धाम में भगवान फ्यूंला नारायण के कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण और विशेष पूजा-अर्चना के बाद खोले गए… मंदिर की खास बात ये है कि यहां महिलाओं के हाथों भगवान फ्यूंला नारायण का प्रति दिन श्रृंगार होता है… इस पौराणिक मंदिर में ठाकुर जाति का पुजारी होता है… मंदिर के आसपास उगने वाले विशेष फूल फ्यूंला की वजह से भगवान को फ्यूंला नारायण कहा जाता है… यह दक्षिण शैली में बना पौराणिक मंदिर है…महिला पार्वती देवी ने फ्यूंला नारायण में भगवान का फूल श्रृंगार किया.

जंगल में स्थित इस मंदिर में भगवान की पूजा के लिए सात सितंबर तक स्थानीय महिला फ्यूलाण राजेश्वरी देवी को फूल श्रृंगार की जिम्मेदारी दी गई है… भगवान नारायण को भोग दूध और मक्खन से लगता है… इसके लिए ग्रामीणों को मंदिर के आसपास छानियों में अपने मवेशियों को भी रखना पड़ता है.

पांच गांवों के आराध्य देव

फ्यूंला नारायण धाम कल्पक्षेत्र में पंचम केदार श्री कल्पेश्वर धाम के शीर्ष पर समुद्र तल से करीब 10 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है… प्रतिवर्ष भरकी, भेंटा, पिलखी, गवाणा और अरोसी गांव के लोग प्रति परिवार बारी बारी से यहां पूजा अर्चना करने हेतु पहुंचते हैं.

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