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एक साथ दिखे दुर्लभ ‘ब्रह्म कमल’ और ‘हिम कमल’, औषधीय गुणों के साथ धार्मिक महत्व भी

चमोली

उत्तराखंड के चमोली की उच्च हिमालई हेमकुंड साहिब लोकपाल घाटी में वर्षों बाद एक साथ बिखरी दुर्लभ राज्य पुष्प ब्रह्म कमल और हिम कमल देव पुष्पों की रंगत देखने को मिली ……

गढ़वाल हिमालय के उच्च हिमालयी पथरीली संकरी नुमा घाटियों में पाए जाने वाले दुर्लभ राज्य पुष्प ब्रह्मकमल के खिलने के बाद अब इसी हिम पुष्प परिवार के अन्य दुर्लभ और औषधीय पुष्पों कस्तूरी कमल,फेन कमल और नील कमल के दर्शन भी लोकपाल घाटी सप्त श्रृंग पर्वत श्रंखला के तलहटी सहित बदरी पुरी क्षेत्र में नीलकंठ पर्वत के बेस कैम्प होने लगे हैं……..

भवागन शिव और मां पर्वती को है प्रिय ये पुष्प

लोक मान्यताओं के तहत ब्रह्म कमल पुष्प को भगवान शिव का प्रिय पुष्प माना जाता है तो वहीं 17 हजार फीट की ऊंचाई पर उगने वाला दुर्लभ उच्च हिमालई पुष्प फेन कमल, हिम कमल माता पार्वती का को समर्पित है… जो उच्च हिमालई से लेकर,नंदी कुंड, सप्त कुंड,पांगर चूला,वासुकी ताल,काग भूषण्डी ताल,नीलकंठ पर्वत के तलहटी समेत लोकपाल घाटी के सप्त शृंग पर्वत शिखरों की तलहटी में ये दुर्लभ हिम पुष्प खिले नजर आ जाते हैं….

हिम कमल/फेन कमल जैसे दुर्लभ प्रजाति के उच्च हिमालई औषधीय गुणों से भरे दिव्य देव पुष्पों के दर्शन कई वर्षो के इंतजार के बाद एक साथ हो रहे है…. पूरा हेमकुंड साहिब क्षेत्र की आबोहवा इन दुर्लभ देव पुष्पों की दिव्य खुश्बू से महक रही है….श्रद्धालु इन देव पुष्पों की एक झलक पाकर निहाल हो रहे है,साथ ही बदरी पुरी में नीलकंठ पर्वत की तलहटी में भी इन देव पुष्पों की रंगत बिखरने की खबर है…. जो प्रकृति संरक्षण और घाटी के पर्यावरण संतुलन और पारिस्थितिकी के लिए अच्छी खबर है…. इनके संरक्षण के लिए ठोस उपाय होने के साथ-साथ सभी प्रकृति प्रेमियों सहित वन विभाग को इनके संरक्षण हेतु मिलकर आगे आना चाहिए…

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