खीरों पूर्णमासी मेला संपन्न , मां उन्याणी देवी को समर्पित है ये मेला, खीरों घाटी में सुनाई दी जागरों की गूंज

ज्योतिर्मठ (चमोली)
चमोली के ज्योतिर्मठ क्षेत्र की लामबगड़ घाटी खीरों वैली की आराध्य मां उन्याणी देवी को समर्पित खीरों पूर्णमासी मेला को समापन हो गया…खीरों पूर्णमासी मेला में आसपास के गांव से सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंचे..मेला को लेकर कई मान्याताएं हैं जिन्हें लोग आज भी श्रद्धा भाव से मानते हैं.

ज्योतिर्मठ में अलकनंदा घाटी के लामबगड़ क्षेत्र की खीर गंगा के दूसरे छोर पर स्थित खूबसूरत उच्च हिमालई क्षेत्र खीरों घाटी की आराध्य देवी मां उन्याणी देवी को समर्पित प्रसिद्ध खीरों पूर्णमासी मेला हर्षोल्लास के साथ मनाया गया…इस देव उत्सव की खास विशेषता ये है की पूरे देव उत्सव में मां उन्याणी देवी के मंदिर में ढोल दमाऊ की थाप नहीं सुनाई देती है, सिर्फ पौराणिक टन्गवणा जागरों के माध्यम से देवी का आह्वाहन किया जाता है और विदा भी किया जाता है…इन्हीं देव जागरों की ही गूंज पूरे खीरों घाटी में सुनाई देती है.

पूर्णमासी देव उत्सव में पहुंचे हजारों श्रद्धालुओं का स्वागत करते हुए लाम बगड़ क्षेत्र की ग्राम प्रधान मीना चौहान ने कहा कि विषम परिस्थितियों में उन्यानी देवी पूर्णमासी उत्सव में सीमित संसाधनों के बलबूते और पूरी लाम बगड़ वैली के सहयोग से ही ये पूर्णमासी उत्सव सफल हो पाया है, दरअसल लामबगड़ छेत्र के खीरों घाटी में हर वर्ष उन्यांणी माता मंदिर में पूर्णमासी मेला (टम्वरा जागर) का आयोजन होता है…ग्राम सभा लामबगड़ की तरफ से आयोजित इस मेले में दूर–दूर से देवी भक्त पहुंचते है…बेनाकुली स्थित खीर गंगा ओर अलकनंदा नदी के पवित्र संगम से 3.5 किलोमीटर की दूरी पर खीरों वैली में माता उन्यांणी का भव्य मंदिर है जो खीर गंगा के पास स्थित है.

ऐसी मान्यता है कि उन्यांणी माता के दर्शन, पूजन से भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है और इसी अटूट आस्था और श्रद्धा भाव को लेकर भक्त बड़ी तादात में हर वर्ष मेले में अपनी मनोकामना ले कर पहुंचते है..यहां देवी जागरोँ की शक्ति से ही मां उन्यानी देवी सहित सभी अन्य देवताओं का आह्वान किया जाता है और विदा भी जागरों से किया किया जाता है..मां उन्याणी सेवा समिति के तत्वाधान में आयोजित इस खीरों पूर्णमासी मेले में मां उन्याणी देवी के दर्शनों के लिए भक्तों का जन सैलाब उमड़ पड़ा..महिलाओं ने अपनी पारंपरिक परिधानो और पारंपरिक टन्गवणा जागरों के साथ चोफुला,दांकुड़ी,चांचड़ी जेसे सामूहिक देव लोक गीतों से खीरों घाटी का वातावरण भक्तिमई बना दिया, इन जागरों से पूरी उन्याणी घाटी गुंजायमान हो गई.
भेनाकुली से लेकर खीरों घाटी तक चारों तरफ भक्तों की भीड़ नजर आई…मां उन्याणी देवी के प्रति लोगों की अगाध श्रद्धा और आस्था ही थी की मीलों दुर्गम पहाड़ी पथरीले मार्गो से चलकर महिलाए, पुरुष, बच्चे, बुजुर्ग सभी सकुशल मां उन्याणी देवी के मंदिर तक पहुंच सके, यहां पहुंच कर सभी ने मां उन्यानी देवी के दर्शनों का पुण्य लाभ अर्जित किया और देवी मां से अपने परिवार की सुख समृद्धि की मनौती भी मांगी…मां उन्याणी देवी सेवा समिति ने भक्तों के लिए भंडारे की व्यवस्था भी की…मेले के अंतिम चरण में शाम 4 बजे मां उन्याणी देवी अवतरित हुई..इसके साथ मां के अन्य देवगण दाणी देवता, लाटू देवता, भूमि छेत्र पाल देवता, घंटाकर्ण देवता के पश्वा भी अवतरित हुए.
अंतिम धार्मिक प्रक्रिया के तहत मां उन्याणी देवी ने सैकड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में पवित्र देव स्नान गाडू लिया,और दुग्ध स्नान,किया..अंत में परंपरा के अनुसार मां उन्याणी देवी के सिर पर मक्खन का लेप लगाया गया, जिसके बाद मां उन्याणी देवी ने खीरों मेले में मां के दर्शन के लिए आए सभी भक्तों को सुख समृद्धि और खुशहाली का आशीष भी दिया…अंत में महा प्रसाद वितरण के साथ उन्याणी मेले का विधिवत समापन हुआ…लाम बगड़ छेत्र की ग्राम प्रधान मीणा चौहान ने खीरों मेले में पहुंचे सभी देवी भक्तो का आभार व्यक्त किया है.