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गंगोत्री धाम में गंगा में बढ़ रही रेत, बजरी, और गाद, ध्यान नहीं दिया हो सकता है भारी नुकसान

गंगोत्री (उत्तरकाशी)

उत्तराखंड के पहाड़ों में बारिश के समय में भूस्खलन आम बात है….तेज बहाव में पानी के साथ मलबा बहकर नदियों और नालों में जम जाता है जिससे एक समय में साफ नहीं किया गया तो खतरा पैदा हो जाता है..इस वक्त में उत्तरकाशी के गंगीत्री धाम में गंगा नदी में आरबीएम यानी रेत, बजरी, और गाद भर गया है जिसे साफ करने की मांग की जा रही है…पुरोहितों का कहना है कि ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले वक्त में गंगा जब उफान पर आएगी तो नुकसान हो सकता है..

उत्तरकाशी में गंगोत्री धाम में मां गंगा में जमे आरबीएम यानी  रेत, बजरी, और गाद से खतरे का डर है.. तीर्थ पुरोहितों ने सरकार से आरबीएम हटाने की मांग की है..पुरोहितों ने कहा कि अगर साफ-सफाई नहीं की गई गंगा के घाटों पर जमा आरबीएम आने वाले बरसात के सीजन में बड़ी तबाही मचा सकता है…मां गंगा के तल में जमा आरबीएम के कारण गंगा जी का जल स्तर लगातार ऊंचाई की ओर तेजी से बढ़ रहा है..

पुरोहित इस बात पर जोर देते हैं कि गंगा की गहराई कम से कम दस मीटर होनी चाहिए ताकि किसी तरह का खतरा ना रहे…दरअसल, गंगा किनारे सुरक्षा बांध तो बना है लेकिन साल दर साल रेत, बजरी, और गाद जमने से नदी का जलस्तर ऊंचाई की ओर बढ़ रहा है ऐसे में अगर नदी की साफ-सफाई और गहराई पर ध्यान नहीं दिया गया और किसी दिन नदी में ज्यादा पानी आया तो डर है कि नदी का पानी सुरक्षा दीवार से ऊपर ना बहने लगे..

पिछले साल भी गंगा के बढ़े जल स्तर के कारण मां गंगा का जल भागीरथ शीला के पास तक पहुंच गया था..जिसके कारण गंगोत्री धाम में भारी नुक़सान हुआ था…इस साल भी मानसून से पहले ही गंगा का जल स्तर तेजी से बढ़ रहा है जो आने वाले समय के लिए बड़ा खतरा हो सकता है..गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल का कहना है कि वो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से पत्राचार कर रहे हैं ओर अगर जल्दी ही इसको नहीं हटाया गया तो  गम्भीर खतरा हो सकता है ..

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