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स्वरोजगार कर युवाओं ने बदली तस्वीर रिवर्स पलायन के साथ गांवों में बढ़ी चहल-पहल खाली पड़े गांव हो रहे हैं आवाद

उत्तराखंड के पहाड़ों में मूलभूत सुविधाओं की कमी है लिहाजा लोग पलायन करने को मजबूर होते हैं..लेकिन अब राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ उठा कुछ लोग वापसी करने लगे हैं….जिससे गांवों पहल-पहल बढ़ रही है..उत्तरकाशी के दुरूस्थ गांवों में भी अब होम स्टे बन रहे हैं और पर्यटक भी बढ़ रहे

बीजेपी सरकार की मजबूत नीतियों का ही नतीजा है कि पलायन होने वाले गांवों में अब लोग रिवर्स पलायन कर रहे हैं..उत्तरकाशी के दूरस्थ क्षेत्र गाजणा में कोविड काल के बाद लोग अब धीरे-धीरे लौटने लगे हैं…यहां के लोग अब होस्मट स्टे, सोलर प्लांट और खेती पर ध्यान देने लगे हैं..

कुछ ही वर्षों में आज इस क्षेत्र में सैकड़ों की संख्या में सोलर प्लांट लग चुके हैं और ग्रीन एनर्जी के रूप में यह क्षेत्र फेमस हो गया है…साथ ही यहां के युवाओं ने गांव में पुराने मकानों को डेवलप कर उन्हें होम स्टे के रूप में विकसित कर यहां पर्यटन की संभावनाओं को भी पंख दे दिए हैं…बड़ी संख्या में पर्यटक यहां समय बिता रहे हैं..

होम स्टे के अलावे यहां के युवाओं ने कीवी और आर्गेनिक फसलों की खेती कर इस क्षेत्र को कीबी एवं आर्गेनिक फसलों की बेल्ट के रूप में नयी पहचान दी है..जिससे ग्रामीणों की आजीविका में बड़ा बदलाव आया है..पलायन की मार झेल चुका यह क्षेत्र आज ग्रामीणों के साथ पर्यटकों से गुलजार देखने लगा है..

लोग बताते हैं कि उत्तरकाशी का दूरस्थ क्षेत्र गाजणा जहां बेरोजगारी के कारण क्षेत्र के 24 गांवो में लगातार पलायन जारी था…गांवों की खेती लगातार बंजर हो रही थी क्षेत्र के कहीं स्कूल छात्र संख्या कम होने के कारण लगातार बन्द हो गये थे जिसके कारण यहां के जनप्रतिनिधियों में घोर निराशा थी..सरकार की महत्वाकांक्षी सोर उर्जा योजना में सोलर प्लांट लगाकर स्वरोजगार के रूप में कदम बढ़ाने का फैसला किया यहीं से इस क्षेत्र की तस्वीर बदलनी सुरू हो गई..

टिहरी बांध के निर्माण से यहां के मुख्य मार्ग झील की भेंट चढ़ चुके थे और यहां आवाजाही करना मुश्किल हो रखा था..यहां के लोगों ने वर्षों तक बहुत परेशानियां झेली है..लेकिन अब धीरे-धीरे ही सही लेकिन गांव के तस्वीर बदल रही है और पर्यटक भी इन क्षेत्रों में आने लगे हैं..जिससे गांवों में रौनक है..

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